Gig economy ( गिग अर्थव्यवस्था)

गिग अर्थव्यवस्था 'जितना काम उतना दाम' तथा 'हायर एंड फायर' जैसी सिद्धांतों पर आधारित श्रम व्यवस्था है। इस व्यवस्था के तहत ऑनलाइन कारोबार करने वाली कंपनियां (ओला, उबर,एयर बीएनबी, स्विगी, जोमैटा इत्यादि)ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से कर्मचारियों की नियुक्त करती हैं।
           गिग अर्थव्यवस्था में कंपनियां पूर्णकालिक कर्मचारियों के स्थान पर स्वतंत्र ठेकेदारों तथा फ्रीलांसर को काम पर रखने को तवज्जो देती हैं। इस व्यवस्था में कंपनियों को यह अधिकार होता है कि वह किसी भी कर्मचारी को बिना किसी पूर्व नोटिस के तत्काल प्रभाव से काम से निकाल सकती हैं ,साथ ही इस व्यवस्था में कार्य करने वाले श्रमिकों के लिए कोई फिक्स मजदूरी निर्धारित नहीं होती उन्हें उनके काम के हिसाब से वेतन प्राप्त होता है अर्थात जितना काम उतना दाम।
          यह व्यवस्था पूर्णकालिक श्रमिकों वाली पारंपरिक अर्थव्यवस्था को कमजोर करती है साथ ही जॉब सिक्योरिटी जैसे श्रमिकों के अधिकारों का हनन करती है।भारत जैसे देश में गिग अर्थव्यवस्था को विनियमित करने से संबंधी कोई कानून अभी तक नहीं बना है।
          भारत एक विकासशील तथा जनसंख्या बाहुल्य वाला देश है इस दृष्टि से देखा जाए तो गिग इकोनामी भारतीय संदर्भ में एक महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकती है क्योंकि यहां के अधिकांश लोगों को इस अर्थव्यवस्था में अल्पकालिक अवधि के लिए रोजगार मुहैया हो सकता है तथा उन्हें जीवन निर्वाह के लिए धन उपलब्ध हो सकता है।

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