कश्मीर, कश्मीर, कश्मीर

जम्मू-कश्मीर से सम्बंधित संविधान के अनुच्छेद 370में जैसे ही कुछ तब्दीलियां की गई देश में एक भूचाल सा आ गया। कुछ लोगों ने इस तब्दीलीओं का बढ़-चढ़कर स्वागत किया तो कुछ लोगों ने इसके विरोध में झंडे उठा लिए। इनमें सबसे ज्यादा खुश वह कश्मीरी पंडित थे जिन्हें कश्मीर से विस्थापित कर दिया गया था।
         जो इस बदलाव का समर्थन कर रहे हैं उनका मानना है कि इससे कश्मीरियों का विकास होगा तथा उन्हें रोजगार ,आधारभूत सुविधाएं तथा उनके जीवन स्तर में सुधार होगा एवं पर्यटन में और वृद्धि होगी। सबसे बड़ा फायदा कश्मीरियों को यह होगा कि अब कश्मीर का कोई अलग से संविधान नहीं होगा अब उन पर भारत का संविधान ही लागू होगा इससे उन्हें एक विस्तृत अधिकारों तक पहुंच सुनिश्चित होगी तथा उनके मूल अधिकारों में भी वृद्धि होगी एवं संसद द्वारा पारित कानून भी अब जम्मू कश्मीर पर आसानी से लागू होंगे जैसे कि तीन तलाक से संबंधित कानून। इससे वहां की महिलाओं को सशक्त बनाया जा सकता है तथा उन्हें अब कश्मीर से बाहर विवाह करने पर अपने अधिकारों से वंचित नहीं होना पड़ेगा। ऐसी अनेक बातें की जा रही हैं जिससे लग रहा है कि अब कश्मीर बदलने वाला है।
           वही इसका विरोध करने वालों के तर्क भी कमजोर नहीं है। उनका मानना है कि यह कार्य कश्मीरियों को एवं वहां की राजनीतिक पार्टियों को विश्वास में लेकर करना चाहिए था क्योंकि इससे भविष्य में स्थितियां भयावह हो सकती हैं तथा कश्मीर भी फिलिस्तीन बन सकता है। वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह बदलाव संविधान में उल्लेखित एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के प्रावधानों के खिलाफ है।
           इन दोनों तरफ की खुशियों एवं चिंताओं पर विचार करें तो हमें एक बात समझ में आती है कि यह दोनों पक्ष एक तरफा बातें कर रहे हैं क्योंकि जो इसका समर्थन कर रहे हैं उन्हें अब कुछ अधिकार प्राप्त हो गए हैं जिसके आधार पर वे अब कश्मीर में प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं, घर बना सकते हैं,  बिजनेस कर सकते हैं इत्यादि। ऐसे लोग अपने स्वार्थ में इस कदर अंधे हो गए हैं कि उन्हें कश्मीरियों की समस्या नजर नहीं आ रही है। वे यह नहीं देख पा रहे हैं कि इस समय कश्मीरी कितनी समस्या से गुजर रहे हैं पूरे कश्मीर में कर्फ्यू का माहौल है लोगों को घरों से निकलने पर पाबंदी लगा दी गई ना कोई दुकानें खुली है, ना कोई गाड़ियां चल रही है। लोग अपने घरों में दुबक कर बैठे हुए। यहां तक कि इंटरनेट एवं नेटवर्क सेवाएं भी बाधित कर दी गई है। वैसे ये सब कश्मीरियों  के लिए कोई नया नहीं है ये सब समस्याएं वो वर्षों से झेल रहे हैं। उनकी इस समस्याओं का भी समाधान भारत सरकार को ढूंढना चाहिए क्योंकि अब वे भारत के संविधान के द्वारा शासित होंगे। अतः उन्हें वे सभी अधिकार प्रदान किए जाएं जो भारत के अन्य वासियों को मिला हुआ है और वे इसका खुशी-खुशी उपयोग कर रहे हैं
              तो वही जो लोग इस बदलाव का विरोध कर रहे हैं उनको भी यह समझना चाहिए कि अगर कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है तो उसे भिन्न- भिन्न क्यों परिभाषित किया जाए। यह सही बात है कि 1954 में अनुच्छेद 370 के तहत कश्मीर के लोगों को कुछ विशेष अधिकार प्रदान किए गए थे लेकिन वर्तमान समय में 370 को हर कोई अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहा है। इसके आधार पर कश्मीर की राजनीतिक पार्टियां भारत सरकार को हमेशा धमकी देती रहती है तो वही कुछ अलगाववादी समूह इसका दुरुपयोग करते रहते हैं। एक तरह से देखा जाए तो अनुच्छेद 370 भारत की एक ऐसी नस थी जिसे कोई भी अपने फायदे के लिए दबा देता था और भारत कराह उठता था। आज के समय में इसका सबसे बड़ा उदाहरण अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा मध्यस्था का प्रस्ताव देना था जिसे भारत ने भले ही सिरे से खारिज कर दिया हो लेकिन कश्मीर के विवाद को एक बार फिर हवा मिली थी। भारत हमेशा से मानता रहा है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है अतः उस पर विवाद की बात करना निरर्थक है।
            इस बदलाव का विरोध करने वालों को यह भी देखना चाहिए कि वर्तमान समय में कश्मीर में कैसे हालात हो गए हैं जहां कभी भी जान- माल का नुकसान हो सकता है। आतंकवादी एवं घुसपैठ की समस्याएं भी बढ़ गई हैं। इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए समय आ गया था कि कश्मीर पर कुछ बड़ा स्टेप लिया जाए।
             मेरा मानना है कि अनुच्छेद 370 में हुआ बदलाव कश्मीर में कोई बड़ा बदलाव नहीं है, कश्मीर के लोगों के अधिकारों का हनन भी नहीं है बल्कि यह  बदलाव अब कश्मीर के लोगों को भारत से सीधे जोड़ेगा तथा उन्हें एक सीमित अधिकार से ,जो उन्हें कश्मीर के संविधान से मिलता था अब भारत के संविधान के अधिकारों तक एक व्यापक  पहुंच  प्रदान करेगा यह बदलाव अब भारत के लोगों एवं कश्मीर के लोगों के बीच मेलजोल को बढ़ाएगा जिससे उन्हें भारत के अन्य हिस्से के लोगों को जानने समझने में मदद मिलेगी तथा भारत के प्रति उनका नजरिया भी बदलेगा।
               इस बदलाव से सबसे बड़ी समस्या उनको हुई है जो वर्षों से पुश्तैनी राजनीत करते आ रहे हैं और वे नहीं चाहते कि उनकी राजनीत की नाव डूब जाए इसीलिए वे अनुच्छेद 370 को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं। सामान्य व्यक्ति को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
                 अतः भारत सरकार द्वारा कश्मीर पर उठाए गए इस कदम का स्वागत करना चाहिए। विरोधाभासी  राजनीत छोड़कर अब कश्मीर के लोगों की समस्याओं पर विचार करना चाहिए तथा उनके समस्याओं के समाधान को तलाशना चाहिए। जो काम वर्षों पहले हो जाना चाहिए था उस पर विवाद उठा कर बात को लंबा नहीं खींचना चाहिए।

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